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मैदा (रिफाइंड आटा): कैलोरी, पोषण और स्वास्थ्य प्रभाव

भारतीय खाना पकाने में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाला रिफाइंड गेहूं का आटा — इसके पोषण और स्वास्थ्य प्रभावों को समझना आपको सूचित आहार विकल्प बनाने में मदद करता है।

लकड़ी की टेबल पर ताजा मैदा - 100 g में 364 कैलोरी

त्वरित पोषण तथ्य

प्रति 100 g (लगभग 3/4 कप)

पोषक तत्वमात्रा
कैलोरी364 kcal
प्रोटीन10 g
कार्बोहाइड्रेट76 g
फाइबर2.7 g
शुगर0.3 g
फैट1 g
सोडियम2 mg
आयरन4.6 mg
कैल्शियम15 mg
फोलेट26 mcg

मैक्रोन्यूट्रिएंट ब्रेकडाउन

न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह

मैदा रिफाइंड गेहूं का आटा है जिसमें से चोकर और जर्म हटाए गए हैं, जिससे 80% फाइबर, B विटामिन और खनिज निकल जाते हैं। उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स (85+) तेजी से ब्लड शुगर स्पाइक का कारण बनता है। बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिए पूरे गेहूं के आटे से बदलें।

मिथक बस्टर्स

मिथक #1: मैदा सिर्फ सफेद गेहूं का आटा है, पूरे गेहूं जितना स्वास्थ्यवर्धक

सच्चाई: रिफाइनिंग प्रक्रिया चोकर (फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट) और जर्म (विटामिन, खनिज) को हटा देती है, केवल स्टार्ची एंडोस्पर्म बचता है। मैदा में 100 g में 2.7 g फाइबर बनाम पूरे गेहूं में 12.2 g होता है, न्यूनतम पोषक तत्वों के साथ।

मिथक #2: एनरिच्ड मैदा पूरे गेहूं के बराबर है

सच्चाई: एनरिचमेंट कुछ सिंथेटिक पोषक तत्व (आयरन, फोलिक एसिड) वापस जोड़ती है लेकिन रिफाइनिंग के दौरान खोए गए सैकड़ों फाइटोन्यूट्रिएंट्स और फाइबर को प्रतिस्थापित नहीं कर सकती। पूरे गेहूं में बेहतर पोषण प्रोफाइल होती है।

मिथक #3: यदि आपको डायबिटीज नहीं है तो मैदा उत्पाद ठीक हैं

सच्चाई: उच्च GI खाद्य पदार्थ स्वस्थ व्यक्तियों में भी टाइप 2 डायबिटीज, मोटापा और हृदय रोग का खतरा बढ़ाते हैं। नियमित मैदा सेवन समय के साथ पुरानी सूजन और चयापचय संबंधी समस्याओं को बढ़ावा देता है।

मिथक #4: यदि आप कैलोरी गिनते हैं तो मैदा वजन को प्रभावित नहीं करता

सच्चाई: मैदा का उच्च GI तेजी से इंसुलिन स्पाइक का कारण बनता है जिसके बाद क्रैश होता है, भूख और अधिक खाना खाने को ट्रिगर करता है। कम फाइबर वाले रिफाइंड कार्ब्स समान कैलोरी वाले पूरे अनाज विकल्पों की तुलना में विसरल फैट स्टोरेज को अधिक बढ़ावा देते हैं

मिथक #5: बच्चों को ऊर्जा के लिए मैदा आधारित खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है

सच्चाई: बच्चों को फाइबर के साथ जटिल कार्ब्स से निरंतर ऊर्जा की आवश्यकता होती है, न कि रिफाइंड आटे से तेजी से स्पाइक की। पूरे अनाज के विकल्प बेहतर एकाग्रता, स्थिर मूड और बचपन में मोटापे की रोकथाम प्रदान करते हैं।

मिथक #6: पारंपरिक भारतीय व्यंजन हमेशा मैदा का उपयोग करते थे

सच्चाई: प्राचीन भारतीय व्यंजन पूरे गेहूं (आटा), बाजरा आटा (बाजरा, ज्वार), और चने के आटे (बेसन) पर निर्भर थे। मैदा ब्रिटिश औपनिवेशिक काल और औद्योगीकरण के दौरान लोकप्रिय हुआ जब रोलर मिलिंग तकनीक ने बड़े पैमाने पर गेहूं की रिफाइनिंग को सक्षम किया।

स्वास्थ्य लक्ष्यों के अनुसार NutriScore

स्वास्थ्य लक्ष्यNutriScoreयह स्कोर क्यों?
वजन घटानाNutriScore Eउच्च GI, न्यूनतम फाइबर खाने के तुरंत बाद भूख लगने का कारण बनता है, फैट स्टोरेज को बढ़ावा देता है। पूरे गेहूं से बदलें।
मसल गेनNutriScore Dग्लाइकोजन के लिए 10 g प्रोटीन और त्वरित कार्ब्स प्रदान करता है लेकिन रिकवरी के लिए पोषक तत्वों की कमी है। पूरे गेहूं में बेहतर पोषण है।
डायबिटीज मैनेजमेंटNutriScore Eबहुत उच्च GI (85+) खतरनाक ब्लड शुगर स्पाइक का कारण बनता है। पूरी तरह से बचें, कम-GI आटे का उपयोग करें।
PCOS मैनेजमेंटNutriScore Eइंसुलिन प्रतिरोध, हार्मोनल असंतुलन को बिगाड़ता है। बादाम आटा, ओट आटा, या पूरे गेहूं पर स्विच करें।
प्रेग्नेंसी पोषणNutriScore Dगर्भावस्था के लिए आवश्यक फोलेट, आयरन और फाइबर की कमी। फोर्टिफाइड पूरे गेहूं या बाजरा चुनें।
वायरल/फ्लू रिकवरीNutriScore Dआसानी से पचने योग्य लेकिन इम्यून-सपोर्टिंग पोषक तत्वों की कमी है। बेहतर विकल्प: ओट्स, ब्राउन राइस, पूरे गेहूं।

व्यक्तिगत पोषण

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मैदा के लिए ब्लड शुगर रिस्पॉन्स

मैदा के ब्लड ग्लूकोज पर प्रभाव को समझना हाइलाइट करता है कि यह चयापचय स्वास्थ्य के लिए समस्याग्रस्त क्यों है।

विशिष्ट ग्लूकोज रिस्पॉन्स कर्व

*यह चार्ट सामान्य स्वस्थ व्यक्तियों के लिए विशिष्ट ब्लड ग्लूकोज रिस्पॉन्स दिखाता है। व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएं भिन्न हो सकती हैं। चिकित्सा सलाह नहीं है।*

मैदा के प्रभाव को कैसे कम करें

जब मैदा का सेवन अपरिहार्य हो, तो ये रणनीतियाँ ब्लड शुगर स्पाइक्स को कम करती हैं:

  • 🥣 पूरे गेहूं के आटे के साथ मिलाएं - 50% मैदा + 50% आटा GI को काफी कम करता है
  • 🥜 नट्स या बीज जोड़ें - बादाम, अलसी फाइबर और हेल्दी फैट प्रदान करते हैं
  • 🥛 प्रोटीन के साथ पेयर करें - पनीर, दाल, अंडे ग्लूकोज अवशोषण को धीमा करते हैं
  • 🥗 पहले सब्जियां खाएं - सलाद से फाइबर सुरक्षात्मक गट बैरियर बनाता है

रिफाइंड कार्ब्स को प्रोटीन, फैट और फाइबर के साथ जोड़ना ग्लूकोज कर्व को काफी समतल करता है और इंसुलिन की मांग को कम करता है।

चिकित्सा अस्वीकरण: डायबिटीज या प्रीडायबिटीज वाले लोगों को आटे के विकल्पों के बारे में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से परामर्श करना चाहिए। नियमित ब्लड शुगर निगरानी की सिफारिश की जाती है।

सांस्कृतिक महत्व

भारतीय व्यंजनों में मैदा की भूमिका परंपरा और आधुनिक आहार चुनौतियों दोनों को दर्शाती है।

ऐतिहासिक संदर्भ:

  • प्राचीन भारत पूरे गेहूं के आटे का उपयोग करता था, रिफाइंड मैदा का नहीं
  • ब्रिटिश औपनिवेशिक काल (1800s) के दौरान रोलर मिलिंग तकनीक की शुरुआत
  • स्वतंत्रता के बाद औद्योगीकरण के साथ मैदा किफायती और लोकप्रिय हो गया
  • 20वीं सदी के मध्य में सफेद आटा परिष्कार और शहरी जीवन का प्रतीक था

आधुनिक उपयोग:

  • विशिष्ट व्यंजनों के लिए आवश्यक: नान, कुल्चा, समोसे, बिस्कुट, केक
  • स्ट्रीट फूड पानी पूरी, पकोड़े, भटूरे के लिए मैदा पर बहुत निर्भर करता है
  • रेस्तरां व्यावसायिक खाना पकाने में स्थिर बनावट के लिए मैदा पसंद करते हैं
  • बढ़ती स्वास्थ्य जागरूकता पूरे अनाज के विकल्पों की ओर वापस बदलाव को बढ़ावा दे रही है

वैश्विक परिप्रेक्ष्य:

  • पश्चिमी देशों में "ऑल-पर्पस आटा" के रूप में जाना जाता है
  • सभी व्यंजनों में ब्रेड, पेस्ट्री, पास्ता में उपयोग किया जाता है
  • विश्वव्यापी स्वास्थ्य संगठन रिफाइंड अनाज की खपत को सीमित करने की सिफारिश करते हैं

तुलना और प्रतिस्थापन

मैदा बनाम स्वास्थ्यवर्धक आटे (प्रति 100 g)

पोषक तत्व🌾 मैदा (रिफाइंड)🌾 पूरे गेहूं (आटा)🌾 ओट आटा🌾 बादाम आटा🌾 चने का आटा (बेसन)
कैलोरी364 kcal340 kcal389 kcal571 kcal387 kcal
कार्ब्स76 g72 g66 g22 g58 g
फाइबर2.7 g12.2 g10 g11 g10 g
प्रोटीन10 g13.2 g17 g21 g22 g
फैट1 g1.9 g6.5 g50 g6 g
आयरन4.6 mg3.6 mg4.7 mg3.7 mg4.9 mg
GI85+ (बहुत उच्च)69-74 (मध्यम)44 (कम)0 (ज़ीरो कार्ब्स)35 (कम)
सबसे अच्छाकभी-कभार बेकिंगदैनिक रोटी, पराठेबेकिंग, दलियाकीटो, लो-कार्बपकोड़े, प्रोटीन बूस्ट

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या मैदा अस्वास्थ्यकर है?

मैदा रिफाइंड गेहूं का आटा है जिसमें से चोकर और जर्म हटाए गए हैं, जिससे 80% फाइबर, B विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट निकल जाते हैं। हालांकि विषाक्त नहीं है, नियमित सेवन नकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों से जुड़ा है।

मुख्य चिंताएं: बहुत उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स (85+) ब्लड शुगर स्पाइक और क्रैश का कारण बनता है; न्यूनतम फाइबर कब्ज और खराब गट हेल्थ की ओर ले जाता है; चयापचय कार्य के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की कमी है; नियमित सेवन से पुरानी सूजन को बढ़ावा मिलता है।

निष्कर्ष: कभी-कभार सेवन स्वीकार्य है, लेकिन नियमित खाना पकाने और बेकिंग के लिए पूरे गेहूं के आटे से बदलें।

मैदा में कितनी कैलोरी होती है?

प्रति 100 g: 364 कैलोरी (76 g कार्ब्स, 10 g प्रोटीन, 1 g फैट)

प्रति कप (120 g): 437 कैलोरी

प्रति बड़ा चम्मच (8 g): 29 कैलोरी

प्रति रोटी (30 g मैदा): 109 कैलोरी

कैलोरी मुख्य रूप से न्यूनतम फाइबर के साथ रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से आती है। पूरे गेहूं से तुलना करें: प्रति 100 g में 340 कैलोरी लेकिन 12 g फाइबर के साथ जो बेहतर तृप्ति और धीमी ऊर्जा रिलीज प्रदान करता है।

क्या डायबिटीज के मरीज मैदा खा सकते हैं?

डायबिटीज के मरीजों को मैदा के सेवन से बचना या सख्ती से कम करना चाहिए। इसमें बहुत उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स (85+) है, जो तेजी से और खतरनाक ब्लड शुगर स्पाइक का कारण बनता है।

डायबिटीज के लिए समस्याग्रस्त क्यों: फाइबर के बिना रिफाइंड कार्ब्स तेजी से रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं; समय के साथ इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनता है; अग्न्याशय पर दबाव डालते हुए अत्यधिक इंसुलिन उत्पादन को ट्रिगर करता है; डायबिटीज की जटिलताओं में वृद्धि से जुड़ा

डायबिटीज के लिए बेहतर विकल्प: पूरे गेहूं का आटा (GI 69-74); ओट आटा (GI 44); बादाम आटा (GI 0); चने का आटा (GI 35); मल्टीग्रेन आटा मिश्रण।

यदि मैदा का सेवन कर रहे हैं: 1-2 बड़े चम्मच तक सीमित करें; पूरे गेहूं के साथ 50% मिलाएं; हमेशा प्रोटीन, फैट और सब्जियों के साथ पेयर करें; ब्लड शुगर को बारीकी से मॉनिटर करें।

क्या मैदा वजन घटाने के लिए अच्छा है?

नहीं, मैदा वजन घटाने के लिए सबसे खराब विकल्पों में से एक है।

समस्याग्रस्त क्यों: उच्च GI तेजी से इंसुलिन स्पाइक का कारण बनता है जो फैट स्टोरेज को बढ़ावा देता है; न्यूनतम फाइबर खाने के तुरंत बाद भूख की ओर ले जाता है; cravings और overeating cycles को ट्रिगर करता है; रिफाइंड कार्ब्स विसरल फैट संचय को बढ़ाते हैं; कुशल चयापचय के लिए पोषक तत्वों की कमी है।

वजन घटाने की रणनीति: मैदा को पूरे गेहूं के आटे से बदलें (~20 कैलोरी बचाता है, 10 g फाइबर जोड़ता है); बेकिंग के लिए बादाम आटा या ओट आटा का उपयोग करें; भारतीय ब्रेड के लिए रागी, बाजरा या ज्वार चुनें; उच्च-प्रोटीन, उच्च-फाइबर विकल्पों पर ध्यान दें।

वास्तविक प्रभाव: रोजाना 100 g मैदा से पूरे गेहूं में स्विच करना बेहतर तृप्ति और ब्लड शुगर नियंत्रण के कारण 3 महीनों में 2-3 kg अतिरिक्त वजन घटाने का समर्थन कर सकता है।

मैदा और आटा में क्या अंतर है?

मैदा (रिफाइंड आटा): केवल गेहूं का एंडोस्पर्म (स्टार्ची सेंटर); सफेद रंग; प्रति 100 g में 2.7 g फाइबर; उच्च GI (85+); न्यूनतम विटामिन और खनिज; महीन, पाउडरी बनावट; लंबी शेल्फ लाइफ।

आटा (पूरे गेहूं का आटा): पूरा गेहूं का दाना (चोकर, जर्म, एंडोस्पर्म); भूरा रंग; प्रति 100 g में 12.2 g फाइबर; मध्यम GI (69-74); B विटामिन, मैग्नीशियम, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर; मोटी बनावट; छोटी शेल्फ लाइफ।

पोषण संबंधी तुलना: आटा 4.5 गुना अधिक फाइबर प्रदान करता है; काफी अधिक आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, विटामिन E; ब्लड शुगर नियंत्रण के लिए बेहतर; पाचन स्वास्थ्य और वजन प्रबंधन का समर्थन करता है।

उपयोग: कभी-कभार ट्रीट्स के लिए मैदा (केक, पेस्ट्री, नान); रोजाना रोटी, पराठे, स्वस्थ बेकिंग के लिए आटा।

मैदा के स्वास्थ्यवर्धक विकल्प क्या हैं?

रोटी और पराठे के लिए: पूरे गेहूं का आटा; मल्टीग्रेन आटा (गेहूं + बाजरा + ज्वार); सर्दियों के लिए बाजरा आटा (पर्ल मिलेट); ग्लूटेन-संवेदनशील के लिए ज्वार आटा (सोरघम)।

बेकिंग के लिए: ओट आटा (मीठा, अखरोट का स्वाद); बादाम आटा (कीटो-फ्रेंडली, उच्च प्रोटीन); नारियल आटा (उच्च फाइबर, तरल अवशोषित करता है); स्पेल्ट आटा (प्राचीन गेहूं की किस्म)।

भारतीय स्नैक्स के लिए: चने का आटा/बेसन (पकोड़ों के लिए उच्च प्रोटीन); चावल का आटा + उड़द आटा (डोसा के लिए); रागी आटा (डायबिटीज के लिए फिंगर मिलेट)।

पिज्जा और पास्ता के लिए: पूरे गेहूं का आटा; गोभी आटा; क्विनोआ आटा।

मिश्रण रणनीति: 50% मैदा + 50% विकल्प से शुरू करें, धीरे-धीरे स्वाद समायोजित होने पर स्वास्थ्यवर्धक आटे के अनुपात को बढ़ाएं।

क्या मैदा पाचन समस्याओं का कारण बनता है?

हां, मैदा कई पाचन समस्याओं का कारण बन सकता है, खासकर नियमित सेवन के साथ।

सामान्य समस्याएं: कब्ज (फाइबर की कमी); सूजन और गैस (रिफाइंड कार्ब्स हानिकारक गट बैक्टीरिया को खिलाते हैं); धीमी पाचन (कम फाइबर ट्रांजिट समय में देरी करता है); GERD/एसिड रिफ्लक्स (रिफाइंड कार्ब्स लोअर एसोफेजियल स्फिंक्टर को आराम देते हैं)।

ऐसा क्यों होता है: 2.7 g फाइबर बनाम 100 g आटे से दैनिक आवश्यकता 12 g; रिफाइंड कार्ब्स गट माइक्रोबायोम संतुलन को बाधित करते हैं; लाभकारी बैक्टीरिया को खिलाने वाले प्रीबायोटिक्स की कमी है; सूजन आंत्र स्थितियों से जुड़ा

समाधान: पूरे गेहूं के साथ फाइबर का सेवन बढ़ाएं; सब्जियां और सलाद जोड़ें; पर्याप्त पानी पिएं; प्रोबायोटिक्स पर विचार करें; धीरे-धीरे मैदा को पूरे अनाज के विकल्पों से बदलें।

क्या मैं गर्भावस्था के दौरान मैदा का उपयोग कर सकती हूं?

मैदा का सेवन गर्भावस्था के दौरान कभी-कभार किया जा सकता है लेकिन नियमित उपयोग के लिए सुझाया नहीं जाता।

चिंताएं: भ्रूण तंत्रिका ट्यूब विकास के लिए महत्वपूर्ण फोलेट की कमी; कम फाइबर गर्भावस्था कब्ज को बिगाड़ता है; उच्च GI गेस्टेशनल डायबिटीज में योगदान कर सकता है; बढ़े हुए रक्त मात्रा के लिए आवश्यक आयरन की कमी है।

गर्भावस्था के दौरान बेहतर विकल्प: पूरे गेहूं का आटा (फोलेट, आयरन, फाइबर प्रदान करता है); रागी आटा (बच्चे की हड्डियों के लिए उच्च कैल्शियम); फोलिक एसिड के साथ फोर्टिफाइड आटा; मल्टीग्रेन मिश्रण।

यदि मैदा का सेवन कर रही हैं: पर्याप्त सप्लीमेंटेशन सुनिश्चित करें (प्रीनेटल विटामिन); प्रोटीन और सब्जियों के साथ पेयर करें; विशेष अवसरों तक सीमित करें; दैनिक भोजन के लिए पूरे गेहूं चुनें।

चिकित्सा सलाह: आटे के विकल्पों के बारे में स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करें, खासकर यदि गेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा है।

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